बनें कार्टूनिस्ट
सामान्यतः कार्टून दो प्रकार के होते हैं-मूक और सवाक या सम्वाद सहित। मूक कार्टून में किसी घटना या प्रसंग की रोचक प्रस्तुति देखने वाले को हंसा देती है। ऐसा सवाक कार्टून अच्छा माना जाता है जिसमें संवाद और चित्र एक-दूसरे के पूरक हों।
कार्टून बनाना आनन्द देने वाली कला है, जिसे सीखना बहुत आसान है। नियमित अभ्यास और मार्गदर्शन से आप स्वयं इस कला में पारंगत हो सकते हैं। तरह-तरह के चेहरे और नैन-नक्श बनाने का अभ्यास करें। अधिकांश बड़े कार्टूनिस्ट इसी प्रकार सफल हुए हैं।
सामग्री- साधारण सफेद कागज या न्यूजप्रिण्ट पेपर की स्कैच बुक, बी या 2बी नम्बर की मुलायम काली पेंसिल या क्लिक पेंसिल, अच्छी रबड़ और साफ मुलायम कपड़े का टुकड़ा लें। अब हलके हाथ से सबसे पहले आड़ी, खड़ी और विभिन्न कोणों पर मुड़ी, तिरछी और सीधी रेखाएं खींचने का खूब अभ्यास करें। फिर गोलाकार या वक्र रेखाएं खींचें। पेंसिल से किये गये इस अभ्यास को बाद काली वाटर प्रूफ स्याही, निब-होल्डर, ब्रश (1, 2 व 3 नम्बर), ड्रॉइंग पेन, बो पेन, क्रोक्विल, रैपिडोग्राफ (.3, .4 या .5 नम्बर), आदि में से 1-2 या सभी से यही अभ्यास करें पेंसिल, होल्डर या पेन कभी कसकर न पकड़ें और न ही कागज पर अधिक दवाब डालकर या गड़ाकर चलाएं।
चेहरे बनाएं- आमतौर पर सबके चेहरों की बनावट एक-दूसरे से भिन्न होती है। आरम्भ में गोल, अण्डाकार आदि चेहरे बनाने का अभ्यास करें। आंख, कान, मुंह आदि बनाएं। चेहरों को साइड पोज और विभिन्न कोणों से भी बनाएं। इसके लिए हलके हाथ से निर्देश रेखाएं भी खींचें। इन चेहरों पर मुस्कान, दुःख, हंसी, गुस्सा, खिसियाहट, आश्चर्य, शरारत, डर आदि भाव लाएं। ये भाव 1-2 रेखाओं के द्वारा आसानी से दिखाए जा सकते हैं। मूंछ, दाढ़ी, बाल, तिलक, चश्मा, तिल, मस्सा, पगड़ी आदि पहचान या प्रतीक चिह्न भी बनाएं।
अपने आसपास के लोगों, वस्तुओं, दृश्यों आदि को ध्यान से देखने की आदत डालें। इनको देखकर और बाद में स्मृति के आधार पर बनाने का अभ्यास करें। कार्टून बनाने के साथ-साथ वास्तविक चित्रण का अभ्यास (स्कैचिंग) भी करते रहें। ये कार्य कार्टून बनाने में उपयोगी सिद्ध होंगे।
निर्देश रेखाएं- चेहरा, पूरी आकृतियां और सभी वस्तुओं, उनकी गतिशीलता के चित्रण में निर्देश रेखाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये रेखाएं बहुत हलके हाथ से खींचनी चाहिए। ऐसा करने से कार्टून को अन्तिम रूप देने के बाद इन्हें रबड़ से मिटाने में आसानी होगी। निर्देश रेखाओं के उपयोग से आप अपने पात्रों की सही वेशभूषा और अन्य वस्तुएं भी अच्छी तरह बना सकते हैं। कार्टून में एक से अधिक पात्र साथ-साथ बनाने पर उनके सही आकार व बनावट का ध्यान रखना चाहिए। ऐसा न हो कि बच्चा पिता से बड़ा बने या हाथी से बड़ा कुत्ता दिखे।
सामान्यतः कार्टून दो प्रकार के होते हैं-मूक और सवाक या सम्वाद सहित। मूक कार्टून में किसी घटना या प्रसंग की रोचक प्रस्तुति देखने वाले को हंसा देती है। ऐसा सवाक कार्टून अच्छा माना जाता है जिसमें संवाद और चित्र एक-दूसरे के पूरक हों। कार्टून के लिए सही आकार का बॉक्स या आयत बनाकर उसके ऊपरी भाग में सम्वाद की जगह छोड़, उसमें रेखाएं खींचकर पेंसिल से सम्वाद लिख दें। फिर निर्देश रेखाओं के उपयोग से पात्र, उनके उचित हावभाव, पहनावा, दृश्य आदि बनाएं। फिर काली स्याही, पेन, होल्डर, ब्रश, या रेपिडोग्राफ का उपयोग कर कार्टून को अन्तिम रूप दें। स्याही सूखने पर पेन्सिल की रेखाओं को हलके हाथ से रबड़ से मिटा दें। कार्टून में काली स्याही से बनी अनावश्यक रेखाओं को मिटाने या ठीक करने के लिए सफेद या सुपर व्हाइट पोस्टर
कलर और ब्रश का उपयोग करें।
कार्टून का आकार- छपे हुए कार्टून मूल रूप से 2, 4 गुना या अधिक बड़े बनाये जरते हैं। इससे कार्टून साफ और अच्छे दिखते हैं तथा कार्टूनिस्ट को काम करने में सरलता होती है। इसी प्रकार आप कार्टून, कार्टून स्ट्रिप, कॉमिक आदि के लिए सही आकार का आयत या वर्ग बना सकते हैं। इसके चारों ओर 1.5 से.मी. खाली छोड़कर बाकी स्थान स्टील के स्केल और कटर या ब्लेड से काटकर अलग कर दें।
कार्टून स्ट्रिप और कॉमिक- आमतौर पर कार्टून स्ट्रिप में 2, 3 या 4 बॉक्स होते हैं और कॉमिक के एक पृष्ठ में 4, 6, 8 या 10 बॉक्स या दृश्य होते हैं। कॉमिक और कार्टून स्ट्रिप में कहानी व सम्वाद के अनुसार समानता लिए हुए पात्र, दृश्य आदि अलग-अलग कोणों से से क्रमवार ढंग से बनाए जाते हैं।
रंगीन कार्टून- कार्टून को अंतिम रूप देने के बाद मूल प्रति या उसकी फोटो
प्रति में सही रंग भरे जाते हैं। छपने पर अच्छे परिणाम के लिए फोटो कलर भरे जाते हैं। वाटर कलर, पेस्टल कलर, पोस्टर कलर आदि का उपयोग भी किया जाता है। कार्टून स्कैन कर उनमें कम्प्यूटर से भी रंग भरे जाते हैं। इसके लिए कम्प्यूटर के उपयोग का प्रशिक्षण ले लेना चाहिए।
अब देर किस बात की, कीजिए शुरूआत!
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छुट्टियों में बन जाएँ कार्टूनिस्ट
बाल पत्रिका नंदन में प्रकाशित
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